पटना : बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी ने वैश्य समाज को साधने की कोशिश तेज कर दी है। पटना में आयोजित सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने व्यापारियों को राहत, युवाओं को रोजगार और महिलाओं के लिए योजनाओं का भरोसा दिलाते हुए नीतीश सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
बिहार की राजनीति में हर चुनाव से पहले जातीय समीकरणों की चर्चा आम हो जाती है। इस बार भी तस्वीर कुछ अलग नहीं है। बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने पटना में आयोजित वैश्य सम्मेलन के जरिए न सिर्फ वैश्य समाज को साधने की कोशिश की, बल्कि महागठबंधन की जीत का भी शंखनाद कर दिया। तेजस्वी ने इस मंच से व्यापारियों, युवाओं और गरीब तबके के लिए बड़े वादों की झड़ी लगा दी।
पटना के बापू सभागार में आयोजित इस सम्मेलन में प्रदेशभर से वैश्य समाज के प्रतिनिधि जुटे थे। भीड़ को देखते हुए यह साफ था कि आरजेडी ने इस सम्मेलन को बेहद रणनीतिक तरीके से तैयार किया था। मंच से अपने संबोधन में तेजस्वी यादव ने ना सिर्फ नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार पर निशाना साधा, बल्कि वैश्य समाज को आर्थिक विकास का रीढ़ बताते हुए कई लुभावने वादे भी किए।

‘बनिया’ शब्द पर भी दी अपनी परिभाषा
अपने चिर-परिचित अंदाज में तेजस्वी ने ‘बनिया’ शब्द की अलग तरह से व्याख्या करते हुए कहा, “बनिया मतलब ‘बनिए’… कुछ बिगाड़िए नहीं।” उन्होंने कहा कि वैश्य समाज ने हमेशा से बिहार में व्यापार, विकास और समृद्धि का निर्माण किया है और अब वक्त है कि वे बिहार (Bihar) को नई दिशा देने में भी अपनी भूमिका निभाएं।
तेजस्वी ने कहा कि उनकी सरकार बनने पर व्यापारियों को हर संभव मदद दी जाएगी। उन्होंने स्मार्ट मीटर हटाने, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने और घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 1200 से घटाने का भी वादा किया। इसके अलावा छोटे-मोटे व्यापार और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंडस्ट्रियल क्लस्टर और टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की घोषणा की गई।

नौकरियों और आरक्षण का वादा दोहराया
आरजेडी नेता ने अपने पुराने वादों को दोहराते हुए कहा कि बिहार (Bihar) में महागठबंधन की सरकार बनने पर 10 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। इसके साथ ही डोमिसाइल नीति लागू कर मूल बिहारियों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने जमीन सर्वेक्षण में हो रही गड़बड़ियों को रोकने का भी भरोसा दिलाया।
युवाओं के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी तेजस्वी ने योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि ‘माई-बहन मान योजना’ के तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये दिए जाएंगे। वहीं, विधवाओं और बुजुर्गों की पेंशन बढ़ाकर 1500 रुपये करने का भी वादा किया गया।

नीतीश सरकार पर बड़ा हमला
तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डबल इंजन सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बीते 20 वर्षों में बिहार (Bihar) की हालत बद से बदतर हो गई है। पलायन, बेरोजगारी और अपराध में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन विकास की बातें सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। तेजस्वी ने दावा किया कि महागठबंधन के पास एक ठोस ब्लूप्रिंट है, जिससे बिहार को 5 साल में देश का नंबर वन राज्य बनाया जा सकता है।
Bihar वैश्य सम्मेलन के राजनीतिक मायने
वैश्य समाज बिहार (Bihar) में एक अहम आर्थिक और सामाजिक वर्ग माना जाता है। व्यापार से जुड़े इस समुदाय का झुकाव पारंपरिक रूप से भाजपा की ओर रहा है। ऐसे में आरजेडी की यह कोशिश साफ संकेत देती है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के वोट बैंक को विस्तार देने और एनडीए के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बिहार में वैश्य समाज की नाराजगी को भुनाने की कोशिश आरजेडी कर रही है। हाल ही में बढ़े बिजली बिल, महंगाई और व्यापारियों से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर व्यापारी वर्ग में सरकार के खिलाफ असंतोष देखा गया है। तेजस्वी यादव इसी असंतोष को महागठबंधन के पक्ष में मोड़ना चाहते हैं।

बढ़ती भीड़ ने बढ़ाया सियासी तापमान
वैश्य सम्मेलन में उमड़ी भीड़ ने आरजेडी नेताओं का हौसला बढ़ा दिया है। राजनीतिक गलियारों में इस आयोजन को तेजस्वी की सधी हुई रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। आरजेडी इस कोशिश में है कि भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाकर बिहार की सत्ता में वापसी की राह आसान बनाई जाए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव की ये कोशिशें आने वाले महीनों में जमीन पर कितना असर दिखा पाती हैं। फिलहाल, इस सम्मेलन ने बिहार (Bihar) की राजनीति में हलचल जरूर बढ़ा दी है।
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