नई दिल्ली : ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) की दुनिया पर केंद्र सरकार ने कड़ा शिकंजा कस दिया है। लोकसभा एवं राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलते ही ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 अब कानून बन चुका है। इस कानून के तहत मनी गेमिंग पूरी तरह बैन होगी, जबकि ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को खुली छूट मिलेगी। यानी अब फैंटेसी लीग, ऑनलाइन लॉटरी या किसी भी कैश वाले गेम का दौर खत्म, लेकिन मनोरंजन और कौशल वाले गेम्स को बढ़ावा मिलेगा।
जैसे ही यह कानून पास हुआ, देशभर में चर्चा छिड़ गई। सरकार का दावा है कि इससे युवाओं को जुए और ठगी से बचाया जा सकेगा और ई-स्पोर्ट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने का रास्ता खुलेगा। लेकिन दूसरी ओर गेमिंग कंपनियां और इंडस्ट्री निकाय कह रहे हैं कि इससे करीब दो लाख लोगों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी और 400 से ज्यादा कंपनियां बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगी।
तीन कैटेगरी में बंटे गेम
नए कानून ने गेम्स को तीन हिस्सों में बांटा है।
- ऑनलाइन मनी गेम्स – जिनमें पैसे दांव पर लगते हैं और कैश जीतने का लालच दिया जाता है। अब ये पूरी तरह प्रतिबंधित होंगे।
- ई-स्पोर्ट्स – कौशल आधारित गेम्स, जिनमें खिलाड़ियों को इनाम तो मिलता है, लेकिन इसमें जुए का तत्व नहीं होता। इन्हें सरकार बढ़ावा देगी।
- सोशल गेम्स – शिक्षा और मनोरंजन के लिए बनाए गए हल्के-फुल्के गेम्स, जिनमें बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखा जाता है। इन्हें भी छूट मिलेगी।
कानून तोड़ने पर सख्त दंड का प्रावधान
कानून तोड़ने वालों के लिए सरकार ने सख्त सजा का प्रावधान किया है। प्रतिबंधित गेम ऑफर करने पर तीन साल तक जेल और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। विज्ञापन करने वालों पर भी कार्रवाई होगी—दो साल की जेल और 50 लाख का जुर्माना। बार-बार गलती दोहराने वालों को 5 साल की जेल और 2 करोड़ तक का दंड भुगतना पड़ सकता है।
Online Gaming अथॉरिटी बनेगी पहरेदार
इस पूरी व्यवस्था पर नजर रखने के लिए सरकार Online Gaming अथॉरिटी बनाएगी। यही तय करेगा कि कौन सा गेम वैध है और कौन सा प्रतिबंधित। खिलाड़ियों की शिकायतें सुनना, कंपनियों का पंजीकरण और प्लेटफॉर्म की मॉनिटरिंग—सब कुछ इसी अथॉरिटी के हाथ में होगा। इसके लिए 50 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग और 20 करोड़ रुपये सालाना खर्च तय किया गया है।
ई-स्पोर्ट्स के लिए नए दरवाजे
जहाँ एक ओर मनी गेमिंग पर ताला लग गया, वहीं ई-स्पोर्ट्स के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं। सरकार अब ट्रेनिंग अकादमियां बनाने, टूर्नामेंट आयोजित कराने और खिलाड़ियों को ग्लोबल प्लेटफॉर्म दिलाने की योजना बना रही है। पहले ही 2022 में ई-स्पोर्ट्स को मल्टी-स्पोर्ट इवेंट की मान्यता मिल चुकी है। अब उम्मीद है कि भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत मौजूदगी दर्ज कर सकेंगे।
गेमिंग सेक्टर उद्योग की बेचैनी
गेमिंग सेक्टर का कहना है कि यह कानून उद्योग को गहरी चोट पहुंचाएगा। देश का Online Gaming मार्केट 2 लाख करोड़ रुपये का है और सरकार को टैक्स के रूप में हर साल 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलता है। कंपनियों का डर है कि अगर मनी गेम्स पूरी तरह बंद हो गए तो निवेशक पीछे हट जाएंगे और खिलाड़ी अवैध विदेशी साइट्स की ओर खिंच जाएंगे।
भारत का भविष्य किस ओर?
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का मानना है कि भारत गेमिंग और AVGC (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स) सेक्टर का ग्लोबल हब बन सकता है। मुंबई में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी और देशभर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इसकी झलक भी दिखा रहे हैं। लेकिन असली सवाल यही है कि क्या मनी गेमिंग पर रोक लगाने से युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा, या फिर यह कदम लाखों नौकरियों और निवेश को ठंडे बस्ते में डाल देगा?
ये लेखक के अपने विचार है।
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लेखक : अमित कुमार सिंह (वर्तमान में PRP Group में Associate Manager हैं)