उत्तर ओर सोमेश्वर खाड़ा
दक्षिण गंडक नदी के धारा
पूरब बागमती के जानी
पश्चिम में त्रिवेणी जी बानी
माघ मास में लागेला मेला
चंपारण के लोग हंसेला
त्रिवेणी के नामी जंगल
जहवां बाघ करेला दंगल
बड़का दिन के छुट्टी होला
बड़-बड़ हाकिम लोग जुटेला
केतना गोली रोज छुटेला
चंपारण के लोग हंसेला
इहे रहे विराट के नगरी
जहवां पाण्डव कइले नौकरी
अर्जुन इहवे कइले लीला
इहवे बा विराट के टीला
वर्णन वेद-पुराण करेला
चंपारण के लोग हंसेला
रामनगर राजा नेपाली
मांगन कबो ना लौटे खाली
इहां हिमालय के छाया बा
इहां अजबे कुछ माया बा
एही नदी में स्वर्ण दहेला
चंपारण के लोग हंसेला
नरकटियागंज में देखी गाला
मंगल शनिचर हाट के हाला
लेलीं बासमती के चाउर
अन्न इहां ना मिली बाउर
भात बने बटुला गमकेला
चंपारण के लोग हंसेला
आगे बढ़ी चलीं अब बेतिया
बीच राह में बा चनपटिया
इहां मिले मरचा के चिउड़ा
किन-किन लोग भरेला दउरा
गाड़ी-गाड़ी धान बिकेला
चंपारण के लोग हंसेला
बेतिया राजा के राजधानी
रहले भूप कर्ण अस दानी
पश्चिम उदयपुर बेंतवानी
बढ़िया सरेयां मन के पानी
दूर-दूर के लोग पियेला
चंपारण के लोग हंसेला
चंपारण के गढ़ मोतीहारी
भइल नाम दुनिया में भारी
पहिले इहे जिला जागल
गोरन के मुंह करिखा लागल
निलहा अब तक नाम जपेला
चंपारण के लोग हंसेला
गांधी जी जब भारत अइले
पहिले इहवा सत्याग्रह कइले
निलहा देखी भाग परायल
तबसे ना चंपारण आयल
और मोतीहारी के नाम जपेला
चंपारण के लोग हंसेला
