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राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों को EC ने किया खारिज, बताया- बिहार में चुनाव से पहले क्यों हो रहा SIR

राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा PPT में दिखाया गया डेटा हमारा नहीं है। सात दिन के अंदर हलफनामा दें, नहीं तो देश से माफी मांगनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उनके आरोपों को निराधार माना जाएगा।

नई दिल्ली: चुनाव आयोग (EC) ने नई दिल्ली के मीडिया सेंटर में रविवार (17 अगस्त 2025) को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की अगुवाई वाले विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में दो बार नाम आना और किसी मतदाता का दो बार वोट डालना, दोनों अलग-अलग बाते हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में सुधार की जरूरी थी। इसी वजह से यह रिवीजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर साल वोटर लिस्ट का रिवीजन होता रहा है, लेकिन बिहार में चल रहा स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) इससे अलग है।

SIR में वोटर रोल की होती है सघन जांच
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि हर साल होने वाले रिवीजन में रेंडम तरीके से वोटर लिस्ट की जांच की जाती है, जबकि SIR में वोटर रोल की सघन जांच होती है। इसके लिए एक गणना फॉर्म भरवाया जाता है और उसी के आधार पर एक फ्रेश वोटर लिस्ट तैयार की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार में SIR इसलिए भी जरूरी हो गया था, क्योंकि वहां से लगातार वोटर लिस्ट से नाम कटने और जुड़ने की शिकायतें मिल रही थीं।

कई ऐसे लोग हैं, जिनका नाम गांव और शहर दोनों जगह है
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि 20 साल में कई ऐसे लोग हैं जो गांव से शहर आ गए, लेकिन उनका नाम गांव की वोटर लिस्ट में रह गया और शहर में भी उनका नाम वोटर लिस्ट में जुड़ गया। ऐसे में उनका वोट गांव और शहर दोनों जगह हो गया। इसके अलावा कई लोग एक शहर से दूसरे शहर में जाकर बस गए तो वहां भी उनका वोट बन गया, लेकिन कटा कहीं नहीं। चूंकि वोटर लिस्ट से नाम हटवाना भी एक जटिल प्रक्रिया है, इसलिए एक व्यक्ति के जाने या अनजाने में कई जगह वोट बन गए।

30 दिन में 7.24 करोड़ फॉर्म वापस मिलें
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे बताया कि बिहार में हमारे करीब 90 हजार से ज्यादा बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने 7.89 करोड़ वोटर्स के घर जाकर एक-एक व्यक्ति को गणना फॉर्म दिया, ताकि वोटर रोल को दुरुस्त किया जा सके, जिसके 30 दिन के भीतर 7.24 करोड़ फॉर्म भऱकर लोगों ने वापस जमा किए। SIR के दौरान जो मृत पाए गए या फिर जो लोग किसी अन्य जगह शिफ्ट हो गए हैं, ऐसी स्थिति से फॉर्म वापस नहीं मिलें और उनका ही नाम लिस्ट से हटा है।

सिर्फ देश के नागरिकों को वोट डालने का है अधिकार
बिहार में बांग्लादेश और नेपाल के वोटर्स का नाम जुड़ने के सवाल पर ज्ञानेश ने कहा कि संविधान के मुताबिक, सिर्फ भारत के नागरिक ही चुनाव में वोट डाल सकते हैं। किसी अन्य देश के नागरिकों को यह अधिकार नहीं है। SIR प्रक्रिया के दौरान 30 सितंबर तक ऐसे लोग पाए जाएंगे, जो हमारे देश के नागरिक नहीं हैं तो निश्चित तौर से उनका नाम वोटर लिस्ट से हटेगा।

1.5 लाख बूथ लेवल एजेंटों ने तैयारी की सूची
कुमार ने कहा कि बिहार में करीब 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंटों (BLA) ने एक मसौदा सूची तैयार की है। चूंकि यह मसौदा सूची हर बूथ पर तैयार की जा रही थी, इसलिए बिहार के 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों ने अपने हस्ताक्षरों से इसे सत्यापित किया है। इस दौरान कुल 28,370 दावे और आपत्तियां मतदाताओं ने प्रस्तुत की हैं। इतने सारे लोग जब किसी प्रक्रिया में शामिल हैं तो वोट की चोरी कैसे संभव है?

SIR बारिश के मौसम में क्यों?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि साल 2003 में भी बिहार में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन हुआ था। तब भी यह सफल था और इस बार भी एक महीने में करीब सात करोड़ लोगों से गणना फॉर्म वापस मिल गए। उन्होंने आगे कहा कि यह प्रक्रिया चुनाव से पहले की जानी थी। ऐसे में जुलाई ही सबसे सही समय था, क्योंकि एक अक्तूबर की तारीख चुनाव के बेहद पास थी तथा अप्रैल दूर। आयोग के अनुसार, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को नए वोटर मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं।

‘वोट चोरी’ के आरोपों पर 7 दिन के अंदर हलफनामा दें राहुल: EC
राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा PPT में दिखाया गया डेटा हमारा नहीं है। ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर सात दिन के अंदर हलफनामा दें, नहीं तो देश से माफी मांगनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उनके आरोपों को निराधार माना जाएगा। उन्होंने राजनीतिक दलों से भी गलत सूचना फैलाने से बचने का आग्रह किया और कहा कि चुनाव आयोग सभी दलों के साथ समान व्यवहार करता है।

45 दिन के बाद शिकायतकर्ता को शपथ पत्र देना जरूरी
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत करने के लिए 45 दिन का समय होता है। हालांकि, यह शिकायत उस निर्वाचन क्षेत्र का व्यक्ति ही कर सकता है। इसके लिए फॉर्म 6 भरना होता है। 45 दिन के बाद शिकायत करने पर आरोप लगाने वाले व्यक्ति को शपथ पत्र देना होता है। अन्यथा उसकी शिकायत को राजनीतिक बयान माना जाता है।

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