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Bangladesh: रोहिंग्या शरणार्थियों को निकालने की तैयारी में जुटा बांग्लादेश, कहा- हमारे पास संसाधन नहीं

रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में दशकों से भेदभाव और हिंसा का शिकार रहे हैं। म्यांमार की सेना ने अगस्त 2017 में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ़ हिंसा का एक संगठित अभियान चलाया, जिसके कारण लाखों लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ा।

Rohingya Refugees in Bangladesh: बांग्लादेश में रह रहे करीब 13 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इनकी मदद के लिए अपील की है। वें कॉक्स बाजार में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे, जहां दुनिया भर के राजनयिक और डोनर देश उपस्थित थे।

मोहम्मद यूनुस ने कहा कि हमारे घरेलू स्रोतों से आगे कोई संसाधन जुटाने की संभावना नहीं है, क्योंकि हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे रोहिंग्या संकट का टिकाऊ समाधान खोजें और उनकी स्वदेश वापसी हेतु एक रोडमैप तैयार करें, ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों को सकुशल उनके देश म्यांमार भेजा जा सके।

म्यांमार में दशकों से भेदभाव व हिंसा का शिकार रहे रोहिंग्या लोग
बता दें कि अगस्त 2017 को म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसा भड़कने पर करीब सात लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान कुछ ही दिनों में बांग्लादेश पहुंचे थे। तब संयुक्त राष्ट्र ने उस सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी और इसे नस्लीय आधार पर एक समाज के सफाये का उदाहरण बताया था। रोहिंग्या लोग म्यांमार में दशकों से भेदभाव और हिंसा का शिकार रहे हैं। म्यांमार की सेना ने अगस्त 2017 में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ़ हिंसा का एक संगठित अभियान चलाया, जिससे लाखों लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ा।

8 साल से दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर बना है कॉक्स बाजार
इस हिंसा के बाद करीब सात लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश में भाग गए, जिसके कारण पिछले आठ साल से बांग्लादेश का कॉक्स बाजार दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर बना हुआ है, जहां करीब 13 लाख रोहिंग्या मुसलमानों ने अपना ठिकाना बनाया है। अब बांग्लादेश की सरकार इनके वतन वापसी को लेकर चिंतित है और कई वैश्विक मंचों से लगातार इस मांग को उठा रही है।

रोहिंग्या शरणार्थियों ने सामूहिक पलायन की मनाई आठवीं वर्षगांठ
इधर, बांग्लादेश के दर्जनों शिविरों में रह रहे म्यांमार के हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपने सामूहिक पलायन की आठवीं वर्षगांठ मनाई। साथ ही अपने सुरक्षित घर वापसी की मांग की। शरणार्थी सोमवार (25 अगस्त 2025) को कॉक्स बाज़ार जिले के कुटुपालोंग स्थित एक शिविर के मैदान में इकट्ठा हुए। वें अपने हाथों में बैनर और तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर लिखा था, “अब और शरणार्थी जीवन नहीं” तथा “वापसी ही अंतिम समाधान है।”

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