पटना : बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्यभर के सभी अपर समाहर्ता (राजस्व) कार्यालयों की मई महीने की रैंकिंग जारी कर दी है। इस रैंकिंग (Ranking) में बांका जिले का एडीएम कार्यालय लगातार शीर्ष पर बना हुआ है। वहीं, राजधानी पटना का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और वह अंतिम 10 जिलों में शामिल हो गया है।
शनिवार को विभाग द्वारा जारी रैंकिंग (Ranking) के अनुसार, बांका को कुल 73.32 अंक मिले हैं, जिससे वह पहले स्थान पर बरकरार है। शेखपुरा ने 70.73 अंकों के साथ दूसरा और मधुबनी ने 70.49 अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया है। जहानाबाद ने 70.46 अंक पाकर चौथा स्थान पाया है।

औरंगाबाद और अरवल ने किया बेहतरीन प्रदर्शन
इस बार औरंगाबाद जिले ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए छठे से पांचवें स्थान पर छलांग लगाई है। वहीं अरवल जिले ने जबरदस्त उछाल दिखाते हुए 13वें स्थान से टॉप 10 में प्रवेश किया और 62.34 अंकों के साथ दसवें स्थान पर पहुंच गया। नालंदा की रैंकिंग (Ranking) में गिरावट देखी गई है और वह पांचवें से खिसककर छठे स्थान पर आ गया है।
टॉप 10 में शामिल जिलों की सूची
विभाग द्वारा जारी टॉप 10 जिलों की रैंकिंग (Ranking) इस प्रकार है:
1. बांका : 73.32 अंक
2. शेखपुरा : 70.73 अंक
3. मधुबनी : 70.49 अंक
4. जहानाबाद : 70.46 अंक
5. औरंगाबाद : 69.01 अंक
6. नालंदा : 68.15 अंक
7. कैमूर : 66.98 अंक
8. सीतामढ़ी : 65.04 अंक
9. दरभंगा : 62.69 अंक
10. अरवल : 62.34 अंक

पटना, भागलपुर और सारण जैसे बड़े जिले नीचे
हैरानी की बात यह रही कि राज्य की राजधानी पटना सहित कई बड़े जिले अंतिम 10 में शामिल हैं। पटना को सिर्फ 49.04 अंक मिले, जिससे वह अंतिम 10 जिलों में जगह बनाने पर मजबूर हो गया। सारण, बेगूसराय, लखीसराय, रोहतास, शिवहर, गोपालगंज, भागलपुर, सहरसा और अररिया की स्थिति भी खराब रही।
अंतिम 10 जिलों की रैंकिंग (Ranking) निम्नलिखित है:
1. सारण : 50.44 अंक
2. बेगूसराय : 50.14 अंक
3. लखीसराय : 49.07 अंक
4. पटना : 49.04 अंक
5. रोहतास : 47.95 अंक
6. शिवहर : 47.08 अंक
7. गोपालगंज : 44.23 अंक
8. भागलपुर : 44.05 अंक
9. सहरसा : 43.18 अंक
10. अररिया : 43.15 अंक
रैंकिंग (Ranking) का आधार क्या है?
विभाग के अनुसार, यह रैंकिंग (Ranking) पूरी तरह से पारदर्शी मानकों पर आधारित है। इसमें दाखिल-खारिज के पर्यवेक्षण पर 15 अंक, परिमार्जन प्लस के पर्यवेक्षण पर 15 अंक, अंचल कार्यालयों के निरीक्षण पर 10 अंक, अभियान बसेरा-2 पर 15 अंक, दाखिल-खारिज रिविजन पर 20 अंक, आधार सीडिंग स्टेटस पर 5 अंक, जमाबंदी कैंसिलेशन पर 15 अंक और ऑनलाइन हियरिंग पर 5 अंक तय किए गए हैं।
इन सभी मानकों के आधार पर हर जिले के एडीएम (राजस्व) कार्यालय के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर रैंकिंग (Ranking) तय की गई है।

समयबद्ध कार्य से बढ़ी जनता की सहूलियत
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि यह रैंकिंग (Ranking) न केवल प्रशासनिक दक्षता का आकलन करती है, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि जनता को उनके राजस्व संबंधित कार्यों में कितनी तेजी से राहत मिल रही है। उन्होंने कहा, “राजस्व न्यायालयों में समयबद्ध सुनवाई से आमजन के कार्यों में गति आई है। अंचल कार्यालयों का निरीक्षण और ऑनलाइन विवादों की सुनवाई में सुधार से ही जिलों की रैंकिंग तय हो रही है।”

पीछे रहने वाले जिलों पर होगी सख्ती
मंत्री ने साफ संकेत दिए हैं कि जिन जिलों की रैंकिंग लगातार खराब आ रही है, वहां के अधिकारियों से जवाब-तलब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी जिले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों की सराहना करते हुए अन्य जिलों को उनसे सीखने की नसीहत दी।
बिहार में रैंकिंग (Ranking) सिस्टम लागू कर सरकार ने एक बार फिर प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में कदम बढ़ाया है। इससे एक ओर जहां जनता को सीधे लाभ मिल रहा है, वहीं अधिकारियों में प्रतिस्पर्धा का भाव भी पैदा हो रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में कौन-कौन से जिले अपनी रैंकिंग (Ranking) सुधार पाते हैं और कौन पीछे रह जाते हैं।
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