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Bihar Land Reforms : किसानों को मिलेगा सही मुआवजा या फिर होगा नुकसान? एक्सप्रेस-वे से पहले MVR पर बड़ा एक्शन

पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण तेज़ करने के लिए राज्य के 6 जिलों में MVR का विशेष पुनरीक्षण किया जाएगा, ताकि किसानों को सही मुआवजा मिल सके। 17 जुलाई को मुख्य सचिव की बैठक के बाद निर्देश जारी किया गया है।

बिहार : पटना से पूर्णिया तक प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस-वे की ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। भारत सरकार की भारतमाला परियोजना (चरण-2) के तहत बनने वाले इस हाईवे के लिए बिहार सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के छह ज़िलों में जमीन की कीमत यानी MVR (Minimum Value Register) का विशेष पुनरीक्षण कराया जाएगा, ताकि अधिग्रहण से पहले जमीन की दरों को मौजूदा बाजार मूल्य के अनुसार ठीक से तय किया जा सके।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस दिशा में पहल करते हुए वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया के जिलाधिकारियों को जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। विभाग का उद्देश्य है कि किसानों को उनकी ज़मीन के बदले उचित, पारदर्शी और समय पर मुआवजा मिले, जिससे न तो अधिग्रहण में देरी हो और न ही ज़मीनी विवाद या असंतोष की स्थिति बने।

अधिग्रहण से पहले MVR क्यों जरूरी?

दरअसल, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 26(3) के अनुसार, अधिग्रहण की किसी भी प्रक्रिया को शुरू करने से पहले संबंधित क्षेत्र में मौजूदा बाजार मूल्य का मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है। इसी आधार पर मुआवजा तय होता है। विभाग ने साफ किया है कि केन्द्रीय मूल्यांकन समिति से मंजूरी मिलने के बाद ही अधिसूचना जारी की जाएगी। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को किसी भी स्तर पर नुकसान न हो और वे संतुष्ट हों।

बिहार स्टॉम्प नियमावली के तहत मिल रही है वैधानिक शक्ति

राजस्व विभाग ने अपने आदेश में बिहार स्टॉम्प (संशोधन) नियमावली, 2013 का उल्लेख किया है, जिसके तहत उपनियम-7 में जिला समाहर्ताओं को MVR के विशेष पुनरीक्षण की शक्ति दी गई है। इसके लिए मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की अधिसूचना को आधार बनाया गया है।

मुख्य सचिव की बैठक के बाद जारी हुआ निर्देश

यह पूरा आदेश 17 जुलाई 2025 को मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद जारी किया गया है। इस बैठक में विशेष रूप से ज़ोर दिया गया कि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और न्यायसंगत होनी चाहिए। अधिकारियों को यह भी हिदायत दी गई कि किसानों के हितों की रक्षा करते हुए परियोजना के क्रियान्वयन में कोई रुकावट न आए।

किसान हित और विकास—दोनों पर संतुलन

राज्य सरकार का यह कदम इस बात की ओर इशारा करता है कि वह किसानों को उचित मुआवजा देने के साथ-साथ अधिग्रहण प्रक्रिया को भी सुचारु और विवादमुक्त बनाना चाहती है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाएं न सिर्फ आर्थिक विकास का इंजन बनती हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और रोज़गार के अवसर भी बढ़ाती हैं। ऐसे में भूमि मूल्य निर्धारण की यह पहल विकास और जनहित के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा सकता है।

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