पटना : PMC की 9वीं बोर्ड बैठक शुक्रवार को उस समय विवाद का कारण बन गई जब महापौर सीता साहू के पुत्र शिशिर कुमार पर बैठक के दौरान पार्षदों से गाली-गलौज और मारपीट करने का गंभीर आरोप लगा। होटल द पनास में आयोजित इस बैठक में शिशिर कुमार न केवल हथियारों से लैस निजी अंगरक्षकों (बाउंसरों) के साथ पहुंचे, बल्कि कथित तौर पर पार्षदों को डराने और पीटने की कोशिश की। घटना के बाद नगर निगम ने उनके ऊपर निगम कार्यालय एवं किसी भी बैठक/कार्यक्रम में उपस्थिति पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा करते हुए जिलाधिकारी को पत्र भेजा है।
हथियार, बाउंसर और धमकी: PMC की बैठक में अराजकता का आरोप
नगर निगम के दस्तावेजों के मुताबिक, शिशिर कुमार नियमित रूप से निगम की बैठकों में हथियारबंद बाउंसरों के साथ पहुँचते हैं, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि निगम कर्मियों और जनप्रतिनिधियों में भय का माहौल भी पैदा करता है। बाउंसरों के हथियार खुले में रखने की शिकायतें पहले भी मिल चुकी हैं। हालिया घटना में उन्होंने बैठक में प्रवेश करते ही कई पार्षदों के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। निगम अधिकारियों ने इसे कार्यालय के कामकाज में सीधा हस्तक्षेप बताया है।

अपराधिक मामलों की लंबी सूची, अब निगम से निष्कासन की तैयारी
निगम अधिकारियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि शिशिर कुमार पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। आलमगंज थाना में रजनीश कुमार के साथ मारपीट का मामला (कांड संख्या-232/23), हत्या का मामला (कांड संख्या-511/24), और कोतवाली थाने में नगर आयुक्त से गाली-गलौज व हाथापाई का केस (कांड संख्या-207/25) पहले से दर्ज हैं। इसके अलावा महिलाओं से दुर्व्यवहार, पार्षदों को धमकाने, और भू-माफिया जैसे आरोप भी लगातार उन पर लगते रहे हैं। ऐसे व्यक्ति की बार-बार निगम की गतिविधियों में दखल को देखते हुए अब निगम प्रशासन कड़ा रुख अपना रहा है।
जिलाधिकारी को भेजा गया पत्र, बाउंसरों की जांच और शस्त्र सत्यापन की मांग
नगर निगम ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि शिशिर कुमार के निजी बाउंसरों की जानकारी (नाम, पता, आपराधिक रिकॉर्ड और शस्त्र अनुज्ञप्ति) की जांच कराई जाए। साथ ही, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की संबंधित धाराओं के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह भी आग्रह किया गया है कि शिशिर कुमार और उनके अंगरक्षकों को निगम कार्यालय और सभी बैठकों में आने से रोका जाए, ताकि अधिकारियों और पार्षदों को भयमुक्त माहौल में कार्य करने का अवसर मिले।
शिशिर बाबू कितना भी हाथ पैर मार ले विधायकी ना जीत पाएंगे
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