नई दिल्ली : बिहार की मतदाता सूची को लेकर छिड़े विवाद और विपक्ष के आरोपों के बीच रविवार को चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस (Election Commission Press Conference) कर अपना पक्ष रखा। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग न तो किसी राजनीतिक दल के साथ है और न ही किसी के खिलाफ। उनका कहना था कि हमारा काम निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है और मतदाता सूची को दुरुस्त करना उसी का हिस्सा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि बिहार में 22 लाख मृत मतदाता अचानक से नहीं मिले। असल में, ये वे लोग हैं जो पिछले 20 वर्षों में अपनी जान गंवा चुके थे, लेकिन उनके नाम मतदाता सूची से नहीं हटे थे। आयोग के मुताबिक, इस बार जब विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में Enumeration Forms (गणना प्रपत्र) के जरिए जानकारी जुटाई गई, तब जाकर ये आंकड़े सामने आए।
उन्होंने कहा, “कभी किसी का नाम छूट जाता है, तो कभी मृत मतदाता का नाम हटने से रह जाता है। यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार प्रक्रिया को और गहराई से किया गया है।”
BLO ने राजनीतिक दलों के BLA के साथ मिलकर किया काम
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी बताया कि इस बार बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) के साथ मिलकर काम किया है। यानी प्रक्रिया में हर राजनीतिक दल की सहभागिता रही है। उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी दल ने आधिकारिक तौर पर कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है, जिससे साफ है कि सब इस प्रक्रिया से अवगत थे।
किसी भी मतदाता का नहीं छीना जाएगा अधिकार
आयोग ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 56 घंटे के भीतर जिला स्तर पर मतदाता सूची साझा कर दी गई। राजनीतिक दलों के बीएलए को भी बूथ स्तर पर यह सूची उपलब्ध कराई गई थी। आयोग ने कहा कि पारदर्शिता उसकी प्राथमिकता है और इस प्रक्रिया में किसी भी मतदाता का अधिकार छीना नहीं जाएगा।
चुनाव से पहले मतदाता सूची सुधारना जरूरी
बिहार में इस समय विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) चल रहा है। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची को चुनाव से पहले सुधारना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न रहे। फिलहाल ड्राफ्ट मतदाता सूची तैयार है और एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्तियाँ दर्ज करने का समय दिया गया है। अब तक करीब 28 हजार दावे और आपत्तियाँ मिल चुकी हैं।
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