पटना : शिक्षा विभाग (Education Department) द्वारा प्रदेश भर में 5 जुलाई को ‘निपुण दिवस’ मनाया जाएगा। इस दिन जिला, प्रखंड और विद्यालय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों को ‘मिशन निपुण बिहार’ के उद्देश्यों से जोड़ा जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
बताते चलें कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education policy 2020) के तहत 5 जुलाई 2021 को ‘मिशन निपुण भारत’ की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान (Foundation Literacy and Numeracy – FLN) विकसित करना है। इसी क्रम में बिहार सरकार भी ‘मिशन निपुण बिहार’ के ज़रिए प्रदेश में इस महत्वाकांक्षी अभियान को सफल बनाने में जुटी हुई है।

बिहार में मिशन निपुण के चार साल पूरे
मिशन निपुण बिहार के चार साल पूरे होने के अवसर पर राज्यभर में ‘निपुण दिवस’ का आयोजन विशेष रूप से किया जा रहा है। इस अवसर पर न केवल विद्यालयों में बल्कि जिला कार्यालयों और प्रखंड स्तर पर भी जागरूकता कार्यक्रम संचालित होंगे। शिक्षा विभाग (Education Department) ने स्पष्ट किया है कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल औपचारिकता निभाना नहीं, बल्कि बच्चों, शिक्षकों और समाज के सभी वर्गों को इस अभियान की गंभीरता और इसकी उपयोगिता से जोड़ना है।

विद्यालयों में होंगे ये प्रमुख आयोजन
जारी निर्देश के अनुसार, 5 जुलाई को सभी प्राथमिक विद्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें निम्न बिंदुओं को विशेष रूप से शामिल किया गया है:
- निपुण लक्ष्य और लोगो का प्रदर्शन:
सभी विद्यालयों में ‘निपुण बिहार’ का लोगो और मिशन के लक्ष्य को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा जिला कार्यालय, प्रखंड संसाधन केंद्र और अन्य प्रमुख स्थानों पर भी ये लोगो और लक्ष्य बड़े-बड़े होर्डिंग व बैनर के रूप में प्रदर्शित किए जाएंगे। - निपुण गीत का आयोजन:
विद्यालयों में चेतना सत्र के दौरान ‘निपुण गीत’ बजाया जाएगा, ताकि बच्चों और शिक्षकों में मिशन के प्रति उत्साह और जागरूकता उत्पन्न हो। - निपुण बच्चों का सम्मान:
कक्षा 1 से 3 तक के ऐसे छात्र-छात्राओं, जिन्होंने भाषा और गणित में निर्धारित दक्षता प्राप्त कर ली है, उन्हें ‘मैं हूं निपुण’ बैज देकर सम्मानित किया जाएगा। इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और अन्य बच्चे भी प्रेरित होंगे। - निपुण शिक्षक का चयन:
जिन शिक्षकों की कक्षाओं में कम से कम 80 प्रतिशत छात्र बुनियादी भाषा एवं गणित की दक्षता प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें ‘निपुण शिक्षक’ के रूप में चयनित कर सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान जिला और राज्य स्तर पर प्रदान किया जाएगा।

जिला और प्रखंड स्तर पर भी जागरूकता अभियान
केवल विद्यालय स्तर पर ही नहीं, जिला समाहरणालय, जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय (District Education Officer), प्रखंड संसाधन केंद्र और अन्य प्रशासनिक कार्यालयों में भी ‘निपुण बिहार’ से संबंधित बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए जाएंगे। इसके ज़रिए जनसामान्य को भी इस अभियान की जानकारी दी जाएगी।
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (District Education Officers) से अपेक्षा की है कि वे इस आयोजन को गंभीरता से लेते हुए समय रहते सभी आवश्यक तैयारियां पूरी करें। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन गतिविधियों की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि निपुण दिवस केवल औपचारिकता बनकर न रह जाए, बल्कि इसका वास्तविक लाभ बच्चों तक पहुंचे।
Primary Education के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मिशन निपुण?
विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा (Primary Education) उसकी पूरी शैक्षणिक यात्रा की नींव होती है। यदि कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में भाषा और गणित की मूलभूत समझ विकसित नहीं होती है, तो आगे चलकर उनके लिए पढ़ाई करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। मिशन निपुण इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि 2026-27 तक देश के सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान सुनिश्चित किया जाए। बिहार सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है और मिशन निपुण बिहार उसी का हिस्सा है।

बच्चों और शिक्षकों में दिख रहा असर
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मिशन निपुण बिहार के तहत अब तक राज्य के कई जिलों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अनेक स्कूलों में बच्चों की पढ़ने, लिखने और गणितीय गणना की क्षमता में सुधार देखा गया है। वहीं शिक्षक भी इस दिशा में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं और बेहतर शिक्षण विधियों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
5 जुलाई का ‘निपुण दिवस’ केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह अवसर है, जब पूरा बिहार शिक्षा की बुनियाद को और मजबूत करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराएगा। यह दिन बच्चों, शिक्षकों, अभिभावकों और समाज के हर वर्ग को यह याद दिलाने का अवसर है कि गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा (Primary Education) ही भविष्य की सफलता की कुंजी है।
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