पटना: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र (Bihar Vidhan Sabha) अपने दूसरे ही दिन विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में राजद, कांग्रेस और वाम दलों के विधायकों ने सदन के भीतर और बाहर जमकर विरोध किया। विपक्षी विधायकों ने मतदाता पुनरीक्षण में अनियमितता, बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सरकार को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया। लगातार विरोध के चलते विधानसभा और विधान परिषद — दोनों सदनों की कार्यवाही दिन में दो बार स्थगित करनी पड़ी।
नीतीश सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह अंतिम सत्र है। सरकार इस दौरान 12 विधेयकों को पारित करवाने की तैयारी में है, लेकिन विपक्ष सत्र के पहले दिन से ही हमलावर तेवर में दिख रहा है।
सदन में नारेबाजी, सीएम के सामने जताया विरोध
मंगलवार को जैसे ही विधानसभा (Vidhan Sabha) की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी विधायकों ने बेल बजने से पहले ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। राजद, कांग्रेस और माले के विधायक काले कपड़े पहनकर सदन पहुंचे थे। वे सीधे वेल में पहुंचे और जमीन पर बैठ गए। “नीतीश इस्तीफा दो”, “मतदाता पुनरीक्षण वापस लो” और “नकली दवा सरकार हाय-हाय” जैसे नारों से सदन का वातावरण तीखा हो गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस समय सदन में मौजूद थे। उनकी उपस्थिति में विपक्ष की ओर से प्रदर्शन और नारेबाजी का यह दृश्य अभूतपूर्व माना जा रहा है। विधानसभा (Vidhan Sabha) अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने विपक्ष को समझाने की कोशिश की और कहा कि उन्हें बोलने का अवसर मिलेगा, लेकिन विधायक शांत होने को तैयार नहीं हुए।
Vidhan Sabha में विधेयक पेश, लेकिन चर्चा नहीं
हंगामे के बीच सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 57,946 करोड़ रुपये का पहला अनुपूरक बजट पेश किया। इसके अलावा कई संशोधन विधेयक भी विधानसभा (Vidhan Sabha) पटल पर रखे गए। इनमें बिहार हिन्दू धार्मिक न्याय संशोधन विधेयक, बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त विधेयक, भूमिगत पाइपलाइन विधेयक, कृषि भूमि विधेयक, नगर पालिका संशोधन विधेयक, कारखाना अधिनियम संशोधन विधेयक और पशु प्रजनन विधेयक प्रमुख हैं।
हालांकि, विपक्षी हंगामे के कारण न तो इनपर कोई बहस हो सकी और न ही पक्ष-विपक्ष से किसी तरह की राय सदन में दर्ज हो पाई। बाद में हंगामे की स्थिति को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कुर्सी फेंकने की कोशिश, सदन में अफरातफरी
दोपहर बाद जब विधानसभा (Vidhan Sabha) की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो हालात पहले से भी अधिक अशांत हो गए। एक विपक्षी विधायक ने कुर्सी उठाकर रिपोर्टिंग टेबल की ओर फेंकने की कोशिश की, जिसे सुरक्षा कर्मियों ने समय रहते रोक लिया। इस दौरान विपक्षी विधायक वेल में खड़े होकर लगातार नारेबाजी करते रहे और ‘SIR वापस लो’ के नारे लगाते रहे।
इस पूरी स्थिति पर अध्यक्ष ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आपलोगों की गतिविधियों को पूरा राज्य देख रहा है। मीडिया के कैमरे सब रिकॉर्ड कर रहे हैं। फिर भी आपको बोलने का समय दिया गया, लेकिन आपलोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।”
लगातार हंगामे के चलते विधानसभा की कार्यवाही को अगले दिन सुबह 11 बजे तक के लिए दोबारा स्थगित कर दी गई।
विधान परिषद में भी विपक्ष का विरोध
विधान परिषद में भी विपक्ष का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। विपक्षी नेता काले कपड़ों में परिषद पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने काली साड़ी पहनकर विरोध जताया। सभापति अवधेश नारायण सिंह ने व्यंग्य करते हुए कहा, “आपलोग हमेशा इसी ड्रेस में रहिए।” इस पर विपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा, “आप भी काले कपड़े में आते तो और अच्छा होता।”
सभा में जैसे ही मतदाता सूची से संबंधित चर्चा शुरू हुई, सभापति ने साफ़ कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और इसपर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती। इसके बावजूद विपक्ष वेल में पहुंच गया और ‘मतदाता पुनरीक्षण वापस लो’ जैसे नारों से सदन में गूंज बना दी। अंततः परिषद की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष का आरोप: सरकार चला रही है चुनावी साजिश
राजद, कांग्रेस और वाम दलों का आरोप है कि राज्य सरकार मतदाता पुनरीक्षण के नाम पर वोटर लिस्ट से विपक्षी समर्थकों के नाम जानबूझकर हटवा रही है। उनका कहना है कि इससे लोकतंत्र को सीधा खतरा है।
राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा, “यह पूरी कवायद चुनावी लाभ लेने के लिए हो रही है। मुख्यमंत्री अब सरकार चलाने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।”
तेजस्वी यादव का हमला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “यह सिर्फ मतदाता सूची का सवाल नहीं है। यह बिहार के लोकतंत्र की आत्मा से जुड़ा सवाल है। बिहार लोकतंत्र की जननी है। यहां लोकतंत्र की हत्या नहीं होने दी जाएगी।”
उन्होंने कहा कि जब राज्य की जनता हमें चुनकर सदन में भेजती है, तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके अधिकारों की रक्षा करें। अगर सरकार मतदाता सूची में छेड़छाड़ कर रही है, तो इसका विरोध ज़रूरी है।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए ऐतिहासिक पहल
इस पूरे सियासी उथल-पुथल के बीच एक सकारात्मक पहल भी देखी गई। बिहार विधानसभा (Vidhan Sabha) में पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय के चार सदस्यों को सदन की कार्यवाही देखने के लिए आमंत्रित किया गया। इनमें से एक, राजन सिंह ने कहा कि “यह हमारे लिए गौरव का क्षण है। हमने पहली बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को इतने नज़दीक से देखा है।”
राजन सिंह भारत सरकार की दिशा कमेटी के सदस्य भी हैं। उन्होंने इसे सरकार की समावेशी सोच का स्वागतयोग्य कदम बताया।
विधानसभा (Vidhan Sabha) के दूसरे दिन की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि इस सत्र का शेष हिस्सा भी टकराव से भरा रह सकता है। जहां सरकार अपनी नीतियों और विधेयकों को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्ष कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर सत्ताधारी गठबंधन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
सवाल यह भी है कि क्या इस सत्र में सार्थक बहस संभव हो पाएगी या फिर सदन केवल शोर और स्थगन की भेंट चढ़ेगा।
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