पटना : बिहार सरकार 16 अगस्त से शुरू हो रहे राजस्व महा-अभियान की तैयारी को और ठोस बनाने में जुट गई है। ज़मीन से जुड़े रिकॉर्ड सुधारने (Land Reforms) और रैयतों तक सेवा पहुंचाने के इस बड़े कार्यक्रम में अब पंचायत प्रतिनिधियों और विभिन्न सेवा संघों को भी सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है। इसी कड़ी में 10 अगस्त को पटना के शास्त्रीनगर स्थित राजस्व (सर्वे) प्रशिक्षण संस्थान में एक अहम बैठक बुलाई गई है।
इस बैठक की अध्यक्षता विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह करेंगे, जिसमें विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ प्रमुख संघों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। राजस्व विभाग की ओर से बताया गया है कि इस बैठक का मकसद न केवल महाअभियान के संचालन को और प्रभावी बनाना है, बल्कि इसमें भागीदार सभी पक्षों से सुझाव लेकर जमीनी कार्यान्वयन को सुदृढ़ करना भी है।
राजस्व महाअभियान 16 अगस्त से 20 सितंबर तक
गौरतलब है कि यह राजस्व महाअभियान 16 अगस्त से 20 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान डिजिटाइज्ड जमाबंदियों में त्रुटियों का सुधार, छूटी हुई जमाबंदियों को ऑनलाइन कराना, उत्तराधिकार और बंटवारा नामांतरण जैसे ज़मीन से जुड़े जरूरी मामलों का हल्का स्तर पर समाधान किया जाएगा। सरकार की योजना है कि प्रत्येक हल्का क्षेत्र में शिविर लगाए जाएं और घर-घर जाकर लोगों को उनके ज़मीनी रिकॉर्डों की प्रति भी दी जाए।
इस महाअभियान को सफल और समावेशी बनाने के लिए जिन संघों को आमंत्रित किया गया है, उनमें बिहार प्रशासनिक सेवा संघ, बिहार राजस्व सेवा संघ, यूनाइटेड राजस्व सेवा संघ, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी संघ, मुखिया संघ, पंच-सरपंच संघ, ग्राम कचहरी सचिव संघ, पंचायत सचिव संघ, बिहार राजस्व अमीन संघ, भूमि सुधार कर्मचारी संघ (गोप गुट), जिला परिषद संघ, वार्ड सदस्य संघ और ग्राम कचहरी न्यायमित्र संघ शामिल हैं।
विभाग का मकसद पारदर्शिता के साथ लाभुकों तक पहुंचे सीधा लाभ
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से इन सभी संगठनों को सचिवालय स्तर से पत्र भेजकर बैठक में भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा गया है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि पंचायत स्तर पर सक्रिय प्रतिनिधियों और कर्मचारी संगठनों को इस अभियान में जोड़ने से इसका लाभ वास्तविक लाभुकों तक तेजी से और पारदर्शिता के साथ पहुंचेगा।
अभियान से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि राज्य भर में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और नामांतरण जैसे मामलों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाने की यह पहल जनता को दफ्तरों के चक्कर से बचाएगी और ज़मीन से जुड़े विवादों की संख्या में भी कमी लाएगी।