पटना : बिहार में जमीन से जुड़ी तमाम जटिलताओं और रिकॉर्ड की गड़बड़ियों में सुधार (Land Reforms) करने के उद्देश्य से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार द्वारा 16 अगस्त से एक राजस्व महाअभियान शुरू किया जा रहा है, जो 20 सितंबर तक चलेगा। इस एक महीने के दौरान राज्यभर के गांवों और पंचायतों में विभाग द्वारा नियुक्त कर्मी घर-घर जाकर लोगों की जमीन से जुड़ी समस्याएं सुनेंगे और उनका समाधान सुनिश्चित करेंगे।
इस अभियान की खास बात यह है कि पहली बार नाम, खाता, खेसरा, रकबा, लगान जैसी बारीक और तकनीकी अशुद्धियों को सुधारा जाएगा और आम जनता को इसके लिए राजस्व कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। विभागीय स्तर पर तैयारी इस तरह की गई है कि डिजिटाइज्ड जमाबंदी में त्रुटियों का सुधार, उत्तराधिकार एवं बंटवारा नामांतरण और छूटी हुई जमाबंदियों को ऑनलाइन करना—इन सभी ज़मीनी समस्याओं को एक ही मंच पर हल किया जा सके।
इसके लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर अभियान के क्रियान्वयन की विस्तृत रूपरेखा दी है। इसके मुताबिक प्रत्येक हल्का (राजस्व इकाई) में सात दिनों के अंतराल पर दो बार शिविर लगाए जाएंगे, ताकि जिन लोगों को पहली बार जानकारी नहीं मिल पाई हो, वे दूसरी तारीख में शामिल हो सकें।
इस दौरान विभागीय मंत्री संजय सरावगी ने कहा, “यह महाअभियान राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी और जन-समर्पित योजना है। उन्होंने निर्देश दिया है कि अभियान के हर चरण में समयबद्धता, पारदर्शिता और नागरिक सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाए।”
इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि सरकारी टीमें सीधे लोगों के घर तक पहुंचेंगी, उन्हें जमाबंदी की प्रति देगी और हल्का स्तर पर लगने वाले विशेष शिविरों में उनसे आवेदन भी लेगी। यानि, यह अभियान न सिर्फ रिकॉर्ड सुधारने का है, बल्कि सिस्टम को घर की चौखट तक लाने का प्रयास भी है।
गांवों और पंचायतों में सरकारी भवनों या स्कूलों में इन शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जहां आम लोग भरे हुए आवेदन पत्र और जरूरी दस्तावेज जमा करा सकेंगे। शिविर में आने वाले हर व्यक्ति को दूसरे मौके का भी विकल्प मिलेगा ताकि कोई भी अपनी गलती सुधारने से वंचित न रहे।
राजस्व विभाग का दावा है कि इस बार का महाअभियान सिर्फ खानापूर्ति नहीं होगा, बल्कि इससे लाखों रैयतों को व्यवहारिक राहत मिलेगी। विभाग के अनुसार, ऑफलाइन रिकॉर्ड को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना, मृत रैयतों के उत्तराधिकारियों के नाम से जमाबंदी कराना, और संयुक्त जमाबंदी के मौखिक बंटवारे को विधिवत दर्ज कराना—जैसे कई बिंदुओं को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।