पटना : बिहार सरकार ने मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद (Cabinet) की अहम बैठक में किसानों, महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण जनता से जुड़े कई बड़े फैसलों पर मुहर लगा दी। राजधानी से लेकर सुदूर गांवों तक विकास की तस्वीर बदलने का दावा करते हुए 40 से अधिक प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई, जिनकी कुल अनुमानित लागत हजारों करोड़ में है।
फैसलों की लिस्ट में जहां मोटे अनाज की खेती और बीज प्रोत्साहन जैसी योजनाएं किसानों को राहत देने वाली हैं, वहीं सड़कों और पुलों के निर्माण के ज़रिये राज्य की अधोसंरचना को नई धार देने की तैयारी है। साथ ही दिव्यांगजनों के लिए सिविल सेवा में सहयोग, महिलाओं के लिए 35% आरक्षण और युवाओं के लिए नया आयोग जैसी घोषणाओं ने यह साफ कर दिया है कि सरकार अब वोटरों के सबसे बड़े समूह—ग्रामीण और मध्यमवर्गीय समाज—को साधने की रणनीति में जुट गई है।
कृषि और ग्रामीण विकास को नई धार : किसान, बीज, पोषण और तकनीक पर बड़ा फोकस
बिहार सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए कृषि क्षेत्र में परिवर्तनकारी फैसले लेते हुए चौथे कृषि रोडमैप के तहत मिलेट्स (मोटे अनाज) को बढ़ावा देने के लिए 46.75 करोड़ की योजना को मंजूरी दी है। यह कदम न केवल पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि जलवायु-समर्थ खेती की ओर भी महत्वपूर्ण दिशा है। वहीं, अनियमित मानसून और सूखे की आशंका के बीच सरकार ने किसानों के लिए डीजल अनुदान योजना को 100 करोड़ रुपये की राशि के साथ फिर से चालू किया है, जिससे धान, मक्का, जूट, दलहन, तिलहन जैसी फसलों की सिंचाई संभव हो सकेगी।
बीज आपूर्ति को लेकर भी राज्य गंभीर है। गेहूं बीज विस्थापन योजना पर 65 करोड़ और चना बीज प्रोत्साहन योजना पर 30.21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। साथ ही डिजिटल एग्रीकल्चर की दिशा में कदम बढ़ाते हुए फसल सर्वे और अनुश्रवण प्रणाली के लिए 33.24 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। “प्रति बूंद अधिक फसल” जैसे मंत्र को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 140.66 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है।
इसी क्रम में ग्रामीण विकास को और बल देने के लिए “बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड” को 105 करोड़ की सहायता दी जाएगी। यह राशि राज्य आकस्मिकता निधि से अग्रिम रूप में दी जाएगी जिससे ग्रामीण आजीविका मॉडल और महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलेगी।

शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय : नए संस्थान, विशेष योजनाएं और समावेशी सोच
कैबिनेट (Cabinet) बैठक में ग्रामीण और वंचित तबकों के बच्चों के लिए शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने हेतु कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय के लिए 65.80 करोड़ और कैमूर जिले में संचालित दो आदिवासी विद्यालयों के पुनर्निर्माण हेतु 131.60 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई। वहीं, नालंदा और गोपालगंज स्थित सैनिक स्कूलों में छात्रों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को पुनरीक्षित करने का निर्णय लिया गया है, जिससे वहां अध्ययनरत राज्य के छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
स्वास्थ्य क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में दो नयी सेवाओं—खाद्य संरक्षक सेवा और खाद्य विश्लेषक संवर्ग—के गठन को मंजूरी मिली है। यह कदम खाद्य गुणवत्ता और उपभोक्ता सुरक्षा की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
सामाजिक न्याय की दिशा में राज्य सरकार ने ‘संभल’ योजना के तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसके तहत UPSC और BPSC जैसी परीक्षाओं की मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार की तैयारी में सफल दिव्यांग अभ्यर्थियों को क्रमशः ₹50,000 और ₹1,00,000 की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% क्षैतिज आरक्षण की ऐतिहासिक मंजूरी दी गई है, जो राज्य की मूल निवासी महिलाओं के लिए समर्पित है।
सड़कों और पुलों से जुड़े 4000 करोड़ से अधिक की योजनाएं : कनेक्टिविटी को मिलेगा नया विस्तार
पथ निर्माण विभाग ने इस बैठक (Cabinet) में बिहार की अधोसंरचना को नया आकार देने के लिए ज़बरदस्त तैयारी की है। राज्य के लगभग 15 जिलों में कुल 20 से अधिक नई सड़कें और पुलों की योजनाओं को प्रशासनिक मंजूरी दी गई है, जिसकी कुल लागत लगभग 4000 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें समस्तीपुर, मधेपुरा, नवादा, मोतिहारी, गोपालगंज, सहरसा, दरभंगा, बेतिया, कटिहार और मधुबनी जैसे जिले शामिल हैं।
मधुबनी जिले के अंधराठाढ़ी और झंझारपुर प्रखंड के बीच कमला बलान नदी पर 154 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला आरसीसी पुल इस बैठक का सबसे अहम निर्णय रहा, जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को एक नई गति देगा। वहीं कई पुराने पथों के चौड़ीकरण और मजबूतीकरण जैसे कार्यों के लिए बेतिया से गोपालगंज और दरभंगा से चकिया तक की सड़कें अब नए स्वरूप में दिखेंगी।
प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल बिहार : टेक्नोलॉजी और नीतियों पर Cabinet का भरोसा
राज्य सरकार ने इस बार डिजिटल गवर्नेंस और प्रशासनिक दक्षता में सुधार को भी अपने एजेंडे में प्रमुखता दी है। मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (HRMS), आंतरिक लेखापरीक्षा प्रणाली (IAMS), और व्यापक वित्तीय प्रबंधन (CFMS) के लिए PwC और IPE Global जैसी प्रतिष्ठित परामर्श कंपनियों को कार्य सौंपा गया है। इन योजनाओं पर कुल 6.89 करोड़ रुपये का व्यय अनुमोदित हुआ है।
साथ ही, बिहार नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 को भी स्वीकृति दी गई, जो राज्य में हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देगी। पर्यावरण विभाग ने रक्त चंदन जैसी कीमती जब्त लकड़ियों की पारदर्शी नीलामी के लिए MSTC लिमिटेड को माध्यम बनाने का फैसला किया है। राजस्व विभाग ने गया, पटना और बेगूसराय में भूमि का निःशुल्क अंतर्विभागीय हस्तांतरण कर महालेखाकार कार्यालय, सशस्त्र पुलिस बल और सहकारिता संस्थान जैसे सार्वजनिक उपयोग के लिए आधार तैयार किया है।
राज्य के युवा, महिलाएं और दिव्यांग बनेंगे विकास के भागीदार
सामान्य प्रशासन विभाग ने युवाओं और महिलाओं के लिए दो ऐतिहासिक निर्णय लिए। बिहार युवा आयोग के गठन से राज्य के युवाओं की भागीदारी नीति निर्माण में सुनिश्चित होगी, जबकि महिलाओं के लिए सभी सरकारी सेवाओं में 35% क्षैतिज आरक्षण लागू कर एक साहसिक और समावेशी पहल की गई है।
इसके अतिरिक्त, दिल्ली स्थित बिहार निवास, बिहार सदन और बिहार भवन की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए 11 पुराने वाहनों की जगह 11 नई गाड़ियों की खरीद को भी स्वीकृति दी गई है। इस पर 2.13 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
बिहार कैबिनेट (Cabinet) की यह बैठक महज़ योजनाओं की औपचारिक मंजूरी भर नहीं थी, बल्कि राज्य की सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी संरचना को नया आकार देने वाला एक दूरदर्शी रोडमैप भी थी। सरकार ने खेती से लेकर अधोसंरचना, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, और सामाजिक न्याय से लेकर प्रशासनिक दक्षता तक—हर क्षेत्र को छूते हुए व्यापक निर्णय लिए हैं।
कृषि में जहां न्यूट्री सिरियल्स, डिजिटल फसल सर्वे और सूक्ष्म सिंचाई जैसे कदम भविष्य की खेती की झलक दिखाते हैं, वहीं ग्रामीण शिक्षा, आदिवासी विद्यालय, दिव्यांगजनों के लिए ‘संभल’ जैसी योजनाएं सामाजिक समावेशन की मिसाल पेश करती हैं। सड़कों, पुलों और कनेक्टिविटी पर हुआ ऐतिहासिक निवेश आने वाले वर्षों में बिहार की अर्थव्यवस्था को नई गति देगा।
[…] बिहार में खेती, सड़क, शिक्षा, महिला और य… […]