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Premanand Maharaj पर टिप्पणी के बाद बुरे फंसे जगद्गुरु रामभद्राचार्य, उत्तराधिकारी को देनी पड़ी सफाई

आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि सोशल मीडिया पर निःस्वार्थ संतों को भी अपने स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बना लिया जाता है। उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता है, ताकि संतों पर से लोगों की श्रद्धा समाप्त हो जाए।

चित्रकूट: प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) पर एक साक्षात्कार में की गई टिप्पणी के बाद से विवाद बढ़ता जा रहा है, जिसे देखते हुए तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने इस पूरे मामले पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि जगद्गुरु सबके गुरु होते हैं और सारी प्रजा उनकी संतान के समान है। सोशल मीडिया पर उनकी बातों तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।

आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि गुरुदेव ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि प्रेमानंद जी से उन्हें किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं है। वे एक अच्छे नामजापक संत हैं और भगवन नाम जपने वाला हरेक व्यक्ति गुरुदेव की दृष्टि में सम्मान के योग्य है। अपने प्रवचनों में गुरुदेव बार-बार यह बात कहते हैं कि जो राम-कृष्ण को भजता है, वह चाहे जिस धर्म, वर्ण, अवस्था अथवा लिंग का हो, वह आदर के योग्य है। प्रेमानंद जैसे नाम जापक संत को पराया कैसे मान सकते हैं?

किसी भी सनातनी का अहित नहीं चाहते जगद्गुरु
उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि साक्षात्कार में जगद्गुरु ने स्पष्ट कहा है कि अवस्था और धार्मिक व्यवस्था दोनों प्रकार से प्रेमानंद उनके पुत्र के समान हैं। जगद्गुरु सबके गुरु होते हैं, सारी प्रजा उनके लिए पुत्र के समान होती है। अतः जिस प्रकार एक पिता अपनी संतान का अहित नहीं चाहता, उसी प्रकार किसी भी सनातनी का अहित जगद्गुरु नहीं चाहते।

अपने लाभ के लिए निःस्वार्थ संतों को टारगेट करते हैं कई लोग
आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि सोशल मीडिया अपने लाभ के लिए निःस्वार्थ संतों को भी अपने स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बना लेती है। उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता है, ताकि संतों पर से लोगों की श्रद्धा समाप्त हो जाए और उनकी टीआरपी बढ़ती रहे। अतः लोगों को इससे सचेत होने की आवश्यकता है।

प्रेमानंद पर ये दिया था बयान
बता दें कि जगद्गुरु ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि अगर प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) में चमत्कार है तो वे उनके सामने संस्कृत का एक श्लोक बोलकर दिखाएं। मेरे द्वारा कहे गए किसी भी श्लोक का अर्थ समझाएं। उनकी लोकप्रियता क्षणभंगुर है। प्रेमानंद बालक के समान है। इसी बयान के बाद जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हो रही है।

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