पटना: दानापुर से आरजेडी विधायक रीतलाल यादव (RJD MLA Ritlal Yadav) बुधवार को पटना सिविल कोर्ट में पेशी के दौरान रोने लगे। उन्होंने सुनवाई को दौरान जज से इच्छा मृत्यु की मांग की है। रीतलाल यादव ने जज से कहा, “हुजूर, मुझे इच्छा मृत्यु दीजिए। मेरे ऊपर केस पर केस लादा जा रहा है।”
आरजेडी विधायक ने आगे कहा, “मेरा ट्रांसफर बेऊर जेल में किया जाए। मेरा यहां पैरवी करने वाला कोई नहीं है। हुजूर, मैं अब ऊब चुका हूं।” बता दें कि रीतलाल यादव (RJD MLA Ritlal Yadav) को एक मई को पटना की बेऊर जेल से भागलपुर कैंप जेल में शिफ्ट किया गया था। उन्हें वहां T-सेल में रखा गया है, जहां कभी मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह को रखा गया था। रीतलाल को सुनवाई के लिए भागलपुर से पटना लाया गया है। यहां एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई।
बेऊर जेल से मिले इनपुट के आधार किया गया था शिफ्ट
रीतलाल यादव के कई लोग पहले से ही अलग-अलग आपराधिक मामलों में बेऊर जेल में बंद हैं। उनकी मदद से रीतलाल यादव किसी बड़े वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहा था। बेऊर जेल से मिले इनपुट के आधार पर पटना पुलिस ने इसकी रिपोर्ट तैयार की और जेल डिपार्टमेंट को भेजा, जिसे स्वीकार कर लिया गया और आरजेडी विधायक को भागलपुर जेल में शिफ्ट कर दिया। तब से रीतलाल यादव भागलपुर जेल में बंद है।

बिल्डर से 50 लाख की रंगदारी मांगने का है आरोप
रीतलाल यादव (RJD MLA Ritlal Yadav) ने 17 अप्रैल 2025 को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल भेजा गया था। विधायक पर बिल्डर कुमार गौरव से 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगने और धमकी देने का आरोप है। इस संबंध में पटना के खगौल थाने में केस दर्ज की गई थी।
दानापुर विधायक के 11 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी
इस मामले में पटना पुलिस ने 11 अप्रैल को दानापुर विधायक रीतलाल यादव (RJD MLA Ritlal Yadav) के 11 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 10.5 लाख रुपए नगद, 77 लाख रुपए के ब्लैंक चेक, 4 पेन ड्राइव और जमीन से संबंधित कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए थे। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद ही आरजेडी विधायक ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था।
कौन है रीतलाल?
दानापुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित कोथावां गांव में 16 जनवरी 1972 को रीतलाल का जन्म हुआ। कोथावां गांव कुर्मी बाहुल्य है और तब इस क्षेत्र में कुर्मियों का बर्चस्व था। 90 के दशक में जब लालू यादव का शासन आया, उस दौर में दानापुर में सिर्फ खेती की जमीन थी। कुछ-एक घर थे, लेकिन इलाका सुनसान रहता था। तब रीतलाल गांव से दानापुल रेलवे स्टेशन के बीच राहगीरों से छिनतई और साइकिल चोरी करता था।
फिर साल 2005 के बाद पटना शहर का विकास होने लगा और दानापुर में जमीन की खरीद-बिक्री शुरू हुई। मकान-दुकान बनने लगे। तब इस क्षेत्र में जैसे ही नए जमीन मालिक निर्माण कार्य के लिए सामग्री (ईंट, बालू आदि) गिराता, रीतलाल के आदमी उनसे पैसे की डिमांड करने लगते और नहीं देने की स्थिति में परेशान करते थे।
निर्माण कार्य से पहले पहुंचानी पड़ती थी रंगदारी
पटना का विस्तार हुआ तो सबसे अधिक विकास दानापुर क्षेत्र में ही हुआ। दानापुर में स्कूल-कॉलेज और बड़े-बड़े अपार्टमेंट्स बनने लगे। इस दौरान रीतलाल स्कूल-कॉलेज मलिकों और बिल्डर्स को सस्ते रेट पर किसानों को डरा धमकाकर जमीन दिलवाने लगा, जिससे उसे मोटे कमीशन की लत लग गई। यहीं से रीतलाल यादव का नाम, रुतबा और पैसा बढ़ने लगा। एक समय तो ऐसा था जब उस इलाके में निर्माण कार्य से पहले रीतलाल को रंगदारी पहुंचानी पड़ती थी या उसके आदमियों से निर्माण सामग्री लेनी पड़ती थी।
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