spot_img
HomeओपिनियनAgriculture : बिहार के किसान सिंचाई संकट से बेहाल: आधे से ज्यादा...

Agriculture : बिहार के किसान सिंचाई संकट से बेहाल: आधे से ज्यादा सरकारी नलकूप बंद, निजी बोरिंग बना आर्थिक बोझ

बिहार में आधे से ज्यादा सरकारी नलकूप बंद हैं, जिससे किसान महंगे निजी बोरिंग पर निर्भर हैं। सरकारी योजनाएं भी ज़्यादा कारगर नहीं रहीं। नतीजतन, किसान या तो खेती छोड़ रहे हैं या पलायन कर रहे हैं।

Agriculture Opinion : बिहार के खेतों में जब मानसून देर से दस्तक देता है या बादल साथ छोड़ देते हैं, तब यहां के किसान आसमान की ओर देखने के बजाय धरती के नीचे पानी तलाशते हैं—लेकिन सरकारी नलकूप अक्सर जवाब दे जाते हैं। एक ओर यह राज्य देश के प्रमुख कृषि उत्पादकों में गिना जाता है, वहीं दूसरी ओर सिंचाई जैसी बुनियादी ज़रूरत अब भी हजारों किसानों के लिए एक अधूरी उम्मीद बनी हुई है।

नतीजा यह कि किसान या तो निजी बोरिंग की ऊंची कीमतें चुकाने को मजबूर हैं या फिर खेती से तौबा कर रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं के दावे और आंकड़े जितने आकर्षक दिखते हैं, हकीकत उतनी ही खोखली नज़र आती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार के खेतों को समय पर पानी और किसानों को राहत मिल पाएगी, या फिर यह संकट यूं ही चलता रहेगा?

सरकारी नलकूपों की खराब स्थिति

राज्य में सरकारी नलकूपों की स्थिति चिंताजनक है। उदाहरणस्वरूप, कैमूर जिले में 226 में से 112 नलकूप विभिन्न कारणों से बंद पड़े हैं, जिससे खरीफ सीजन में धान की रोपनी में बाधा आ रही है। इसी प्रकार, बक्सर जिले में 325 में से 164 नलकूप पिछले पांच वर्षों से बंद हैं, जिससे 1640 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई संकट उत्पन्न हो गया है। इन नलकूपों की मरम्मत और संचालन के लिए पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन अधिकांश स्थानों पर यह व्यवस्था प्रभावी नहीं हो पाई है।

AI generated Image

निजी बोरिंग पर निर्भरता और आर्थिक बोझ

सरकारी सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण किसान निजी बोरिंग सेवाओं पर निर्भर हैं, जिनके लिए उन्हें 250-400 रुपये प्रति घंटा तक भुगतान करना पड़ता है। यह दर अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है, जहां सरकारी सहायता से किसानों को 10-15 प्रति घंटा में पानी उपलब्ध कराया जाता है। इस आर्थिक दबाव के चलते कई किसान खेती छोड़कर अन्य प्रांतों में पलायन करने को मजबूर हैं।

सरकारी योजनाएं और उनकी प्रभावशीलता

राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना‘ के तहत किसानों को 50% से 80% तक सब्सिडी प्रदान करने की घोषणा की है, जिससे वे अपने निजी नलकूप स्थापित कर सकें। इसके अतिरिक्त, ‘मुख्यमंत्री कृषि विद्युत सहायता योजना’ के तहत किसानों को सिंचाई के लिए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। हालांकि, इन योजनाओं का लाभ सीमित किसानों तक ही पहुंच पाया है, और जमीनी स्तर पर इनकी प्रभावशीलता पर सवाल उठते रहे हैं।

बिहार के किसानों की सिंचाई संबंधी समस्याएं वर्षों से बनी हुई हैं, और सरकारी प्रयासों के बावजूद इनका समाधान नहीं हो पाया है। जरूरत है कि सरकार नलकूपों की मरम्मत और संचालन सुनिश्चित करे, योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाए, और किसानों को आवश्यक सहायता प्रदान करे। तभी राज्य के किसान आत्मनिर्भर बन सकेंगे और कृषि क्षेत्र में स्थायी विकास संभव हो पाएगा।

ये भी पढ़ें : Prashant Kishor: ‘मुख्यमंत्री को अर्णे मार्ग में घेर देंगे’- कार्यकर्ताओं पर हुई लाठीचार्ज तो तल्ख लहजे में बोले पीके

लेखक : अमित कुमार सिंह (वर्तमान में PRP Group में Associate Manager हैं)

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bihar Wings
Bihar Wings
बिहार विंग्स सिर्फ न्यूज़ प्लेटफॉर्म नहीं, एक मिशन है—सच को निर्भीकता से सामने लाने का। यहां मिलती हैं तेज़, तथ्यात्मक और निष्पक्ष खबरें—राजनीति से लेकर समाज तक, ब्रेकिंग न्यूज़ से लेकर ग्राउंड रिपोर्ट तक, बिना एजेंडा, सिर्फ पत्रकारिता।
RELATED ARTICLES
Patna
mist
25 ° C
25 °
25 °
73 %
1.5kmh
0 %
Tue
24 °
Wed
30 °
Thu
31 °
Fri
31 °
Sat
31 °
spot_img
spot_img
spot_img

Most Popular