पटना : बुधवार को बिहार (Bihar) की राजनीति एक और निर्णायक मोड़ पर खड़ी दिखी, जब महागठबंधन ने चुनाव आयोग के मतदाता सूची पुनरीक्षण आदेश के विरोध में पूरे राज्य में ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया। सुबह की पहली किरण के साथ ही सड़कों पर नारे, रेल पटरियों पर विरोध, और हाईवे पर जाम के दृश्य उभरने लगे। और फिर शुरू हुआ वो जनसैलाब, जिसने बिहार (Bihar) की रफ्तार को ठहराव में बदल दिया।

राहुल की एंट्री से गरमा गया बिहार का सियासी मौसम
इस बंद की सबसे बड़ी खबर रही कांग्रेस नेता राहुल गांधी का पटना आगमन। जैसे ही राहुल गांधी पटना पहुंचे, सियासी हलकों में हलचल और जनसभा में जोश आ गया। इनकम टैक्स चौराहे से राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी एक मंच, यानी एक गाड़ी पर सवार होकर चुनाव आयोग कार्यालय की ओर बढ़े। लेकिन लोकतंत्र की इस सवारी को सचिवालय थाने के पास बैरिकेडिंग में रोक दिया गया। आयोग का ऑफिस महज़ 150 मीटर दूर था — लेकिन वहां तक पहुंचने की इजाज़त नहीं दी गई।
राहुल गांधी ने वहीं खड़े होकर जनता को संबोधित करते हुए कहा — “महाराष्ट्र की तरह बिहार का चुनाव भी चुराने की साज़िश हो रही है। लेकिन बिहार की जनता ये नहीं होने देगी।”

सड़कों पर ‘वोट बंदी’ के खिलाफ हुंकार
महागठबंधन के नेताओं ने इस मतदाता सूची पुनरीक्षण को “वोट बंदी” करार दिया है। उनका आरोप है कि यह गरीब, प्रवासी, मजदूर और वंचित तबके को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की कोशिश है। राजद, कांग्रेस, वामदल, वीआईपी, जन अधिकार पार्टी समेत सात दलों ने इसे भाजपा और चुनाव आयोग की साज़िश बताया।
जब सड़क बनी रणभूमि और पटरी पर चढ़ा जनसैलाब
बंद के दौरान बिहार (Bihar) के सात प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों को रोका गया — दरभंगा, भोजपुर, सुपौल, जहानाबाद, पटना, मुंगेर और अररिया। दरभंगा में ‘नमो भारत’, मुजफ्फरपुर में ‘वंदे भारत’ ट्रेन को भी रोका गया। 12 नेशनल हाईवे — जिनमें पटना, समस्तीपुर, वैशाली, सुपौल, कटिहार और औरंगाबाद जैसे जिले प्रमुख थे — पूरी तरह जाम रहे।
पटना के गांधी सेतु को जाम कर उत्तर बिहार से राजधानी की कनेक्टिविटी ठप कर दी गई। सहरसा, जमुई, मधुबनी और जहानाबाद में रैलियों, टायर जलाकर प्रदर्शन और हाईवे जाम का असर दिन भर दिखता रहा।

कहीं भैंस पलटी, कहीं ऑटो पर बरसे डंडे
बिहार बंद (Bihar Band) के कई दृश्य सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए। शेखपुरा में राजद विधायक भैंस पर चढ़कर प्रदर्शन करना चाह रहे थे, लेकिन भैंस ने उन्हें पलट दिया — यह वाकया वहां मौजूद लोगों के लिए हास्य का विषय बन गया। वहीं, गया में कुछ राजद कार्यकर्ता ऑटो चालकों पर डंडे बरसाते दिखे, जिससे वहां तनाव का माहौल बन गया।

पप्पू यादव की मौजूदगी, लेकिन राहुल से मुलाकात नहीं
पूर्णिया सांसद पप्पू यादव भी अपने समर्थकों के साथ बिहार (Bihar) बंद में शामिल हुए। पटना में वह सचिवालय हॉल्ट पर प्रदर्शन करते दिखे, लेकिन राहुल गांधी से उनकी मुलाकात की तस्वीरें कैमरे में दर्ज नहीं हो सकीं। बावजूद इसके उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले को गरीब विरोधी बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी निगाहें
बंद के बीच कानूनी मोर्चे पर भी हलचल जारी रही। गैर सरकारी संस्था ADR द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगा। याचिका में बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।

राजनीतिक संग्राम में लोकतंत्र की परीक्षा
बिहार बंद बीत गया, लेकिन जो पीछे रह गया वो है एक बड़ा सवाल — क्या लोकतंत्र की आवाजें अब बैरिकेडिंग में कैद कर दी जाएंगी? राहुल गांधी की चेतावनी, तेजस्वी यादव की हुंकार और पप्पू यादव के तेवर सब इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तीखा हो सकता है।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। लेकिन एक बात तय है — बिहार ने फिर बता दिया है कि जब बात लोकतंत्र की होगी, तब यहां की सड़कें खामोश नहीं रहेंगी।