पटना : बिहार में मतदाता सूची को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। विपक्ष ने इस बार सीधे चुनाव आयोग (EC) पर सवाल दाग दिए हैं। सोमवार को पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। तेजस्वी ने चुनाव आयोग (Election Commission) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग खुद ही उलझन में है और आम जनता को भी भ्रमित कर रहा है।
तेजस्वी का आरोप – “EC की भाषा साफ नहीं”
तेजस्वी यादव ने साफ कहा, “मतदाता पुनरीक्षण पर आयोग की कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आ रही है। उन्होंने बताया कि 5 जुलाई को महागठबंधन के सभी नेताओं ने चुनाव आयोग (EC) से मिलकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं, लेकिन अब तक आयोग की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं आया।” उन्होंने कहा, “आयोग से दिल्ली में भी INDIA गठबंधन का प्रतिनिधिमंडल मिला, वहां भी बस चुप्पी। आखिर जनता को जानना है कि खेल क्या चल रहा है?”
सोशल मीडिया बन गया आयोग का ऑफिस?
तेजस्वी ने आयोग की कार्यशैली पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अब लगता है कि सोशल मीडिया ही चुनाव आयोग (EC) का आधिकारिक मंच बन चुका है।” उन्होंने कहा, “ना कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, ना कोई आधिकारिक आदेश। सिर्फ पोस्ट और विज्ञापन। इससे बड़ा मजाक क्या होगा?”

आधार कार्ड पर भी सवाल उठे
महागठबंधन ने बड़ा सवाल उठाया कि जब आधार कार्ड जैसा प्रमाण-पत्र मान्य नहीं, तो बाकी दस्तावेजों की बात करना ही बेमानी है। तेजस्वी ने कहा, “सरकार खुद आधार कार्ड जारी करती है, जिसमें बायोमेट्रिक से लेकर आंखों तक का स्कैन होता है। फिर उसे वोटर लिस्ट के लिए अमान्य बताना सीधे-सीधे साजिश है।”

बच्चों की पढ़ाई भी बनी शिकार
वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने शिक्षा पर पड़ रहे असर की तरफ इशारा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस काम में शिक्षकों को लगा दिया गया है, जिससे स्कूल बंद हो गए हैं और बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ रही है। उन्होंने दो टूक कहा, “ऐसे में हम मांग करते हैं कि यह पूरा पुनरीक्षण अभियान रोका जाए, ताकि बच्चों का भविष्य और लोकतंत्र दोनों बचे।”

राहुल गांधी की एंट्री से सियासी पारा चढ़ा
बिहार की सियासत में इस पूरे विवाद को और गर्म करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मैदान में उतरने वाले हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने जानकारी दी कि 9 जुलाई को बिहार बंद के दौरान राहुल गांधी पटना आएंगे और इनकम टैक्स चौराहे से शहीद स्मारक होते हुए निर्वाचन आयोग (EC) के कार्यालय तक विरोध मार्च में शामिल होंगे।
क्या है पूरा विवाद? जानिए एक नजर में
दरअसल, 24 जून को भारत निर्वाचन आयोग (EC) ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का आदेश जारी किया था, जो 25 जून से 25 जुलाई तक चलना है। इस दौरान करीब 8 करोड़ मतदाताओं को अपनी नागरिकता और पात्रता साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज जमा करना होगा। इनमें जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मैट्रिक प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र या 1987 से पहले का कोई सरकारी दस्तावेज शामिल है।

विपक्ष का आरोप – “ये गरीबों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की साजिश”
महागठबंधन के नेताओं का आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया का असली मकसद गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को सूची से बाहर करना है। तेजस्वी यादव इसे खुल्लमखुल्ला ‘लोकतंत्र पर हमला’ बता चुके हैं। वे पहले ही कह चुके हैं कि सड़क से सदन तक और अदालत से सड़क तक, हर जगह इस मुद्दे की लड़ाई लड़ी जाएगी।
बिहार में चुनाव से पहले ही राजनीतिक तापमान चरम पर है। जहां सत्ताधारी पक्ष इसे निर्वाचन प्रक्रिया का सामान्य हिस्सा बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र पर खतरा करार दे रहा है। देखना होगा कि 9 जुलाई के बिहार बंद और विपक्ष के आक्रामक तेवरों के बीच निर्वाचन आयोग की अगली चाल क्या होती है।
[…] बिहार वोटर लिस्ट पर सियासत गरम, तेजस्व… […]