पटना : बिहार की ऐतिहासिक धरोहर को आम लोगों तक पहुँचाने की दिशा में एक बड़ी पहल की गई है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन (Digital India BHASHINI) के बीच शुक्रवार को एक अहम समझौता (MoU) हुआ। इस करार के तहत अब पुराने कैथी लिपि में लिखे गए अभिलेखों को देवनागरी लिपि में अनुवादित किया जाएगा, जिससे वे आसानी से पढ़े और समझे जा सकें। सरकार का मानना है कि इससे न सिर्फ ऐतिहासिक दस्तावेज सुलभ होंगे बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी पारदर्शिता और तेजी आएगी।

कैथी लिपि के अभिलेखों को पढ़ने में आती थी दिक्कत
मुख्य सचिवालय स्थित सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम (MoU) में मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, भाषिणी डिवीजन के सीईओ अमिताभ नाग समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मुख्य सचिव ने कहा “कैथी लिपि में बहुत सारे पुराने रिकॉर्ड हैं, जिन्हें पढ़ने और समझने में वर्षों से दिक्कत आ रही थी। आज भी विभाग को सेवानिवृत्त कर्मियों की मदद लेनी पड़ती है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तकनीकी समाधान से ये समस्याएँ समाप्त होंगी और आम जनता को भी इन दस्तावेजों की जानकारी सरल भाषा में मिल सकेगी।

सभी विभागों के लिए उपयोगी कदम : मुख्य सचिव
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा, “भाषिणी के सहयोग से न केवल राजस्व विभाग बल्कि बिहार सरकार के अन्य विभाग भी तकनीकी लाभ उठा सकते हैं। शिक्षा, समाज कल्याण और पर्यटन जैसे विभागों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक अभिलेखों को सुलभ बनाया जा सकता है।” उन्होंने पाली लिपि में उपलब्ध अभिलेखों का भी हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद करने पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने बिहार स्पेसिफिक हैकथॉन शुरू करने का भी निर्देश दिया, जिससे तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
विशेष सर्वेक्षण में भी मिलेगी मदद
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा, “यह पहल विशेष सर्वेक्षण की मौजूदा प्रक्रिया में भी बेहद कारगर साबित होगी।” उन्होंने बताया कि अधिकतर पुराने कैडस्ट्रल एवं पुनरीक्षण सर्वे अभिलेख कैथी लिपि में हैं, जिन्हें पढ़ने में कठिनाई होती है। अब इनका देवनागरी में अनुवाद होने से जमीन से जुड़े रिकॉर्ड्स को आसानी से पढ़ा और समझा जा सकेगा।
भाषा बाधा नहीं, सुविधा बने : भाषिणी डिवीजन के सीईओ
डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन के सीईओ अमिताभ नाग ने कहा, “भाषा कभी भी किसी काम में बाधा नहीं बननी चाहिए।” उनका मानना है कि भाषा की विविधता को तकनीक से जोड़कर आम लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल बिहार के ऐतिहासिक ज्ञान को संरक्षित करेगी बल्कि आधुनिक तकनीक से इसे ज्यादा सुलभ बनाएगी।
MoU कार्यक्रम के बाद राज्य स्तरीय कार्यशाला में बनी कार्ययोजना
MoU कार्यक्रम के बाद राजस्व सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न तकनीकी विशेषज्ञों, अधिकारियों एवं कई विभागों के कर्मियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में ज्ञान साझा करने, क्षमता निर्माण और भाषिणी की भाषा प्रौद्योगिकी को राज्य के विभिन्न विभागों में लागू करने की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई।
अधिकारियों ने जताई तकनीक से उम्मीदें
कार्यशाला में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह, सीआईडी के एडीजी पारसनाथ, भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे. प्रियदर्शिनी, विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने इस तकनीक के जरिए शासन व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और जनसुलभ बनाने पर जोर दिया।
ये भी पढ़ें – UK Finance Minister: संसद में बहाए आंसू तो 1 परसेंट गिरा पाउंड, विपक्ष बोला- खतरे में है चांसलर की कुर्सी
यह बिहार वाशियों के लिए काफी फायदेमंद रहेगा