पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) को लेकर मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम जोरशोर से चल रहा है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग (Election Commission) और नीतीश सरकार (Nitish Kumar) पर जमकर निशाना साधा। तेजस्वी ने कहा कि यह पूरा अभियान जनता में भ्रम फैलाने, परेशान करने और लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है।
RJD नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने आरोप लगाया कि 27 जून को उनकी प्रेस कांफ्रेंस के बाद से ही चुनाव आयोग ने कई बार दिशा-निर्देश बदल डाले हैं। कभी योग्यता तिथि बदल दी, कभी दस्तावेज़ बदल दिए, तो कभी समय सीमा। उन्होंने सवाल किया कि आखिर हर हफ्ते नए-नए आदेश क्यों आ रहे हैं? क्या चुनाव आयोग (Election Commission) खुद ही नहीं जानता कि उसे क्या करना है?

“क्या यह राजनीतिक साजिश नहीं?”
तेजस्वी ने पूछा कि क्या इस पूरी प्रक्रिया की कोई सर्वदलीय बैठक हुई? क्या किसी राजनीतिक दल से राय ली गई? उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया एकतरफा चलाई जा रही है, जिससे लोकतंत्र में भागीदारी करने वाले गरीब, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और प्रवासी मजदूर प्रभावित होंगे।
तेजस्वी ने दिए तर्क और उठाए सवाल
तेजस्वी यादव ने बताया कि आयोग खुद कह रहा है कि पिछली बार गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण 2003 में हुआ था। उसके बाद शहरीकरण बढ़ा, फर्जी नाम जुड़ गए, इसलिए यह जरूरी है। तेजस्वी ने कहा, “अगर यह इतना जरूरी था तो समय रहते क्यों नहीं किया गया? विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Election) से ठीक पहले, वह भी मात्र 25 दिनों में इतना बड़ा अभियान कैसे संभव है?”

प्रवासी और गरीब होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित
तेजस्वी यादव ने बताया, “आयोग ने कहा है कि बीएलओ तीन बार घर जाकर लोगों की जांच करेंगे। अगर उस दौरान कोई घर पर नहीं मिला, तो उसका नाम सूची से हटा दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि हजारों लोग काम-धंधे के लिए बिहार से बाहर रहते हैं, जो चुनाव (Election) के समय वोट डालने आते हैं। ऐसे लोग तो इस प्रक्रिया में सूची से बाहर हो जाएंगे।
दस्तावेज़ों की जटिलता पर सवाल
तेजस्वी ने कहा कि आयोग ने 11 दस्तावेज मांगे हैं, जिनमें पासपोर्ट, सरकारी पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मैट्रिक का सर्टिफिकेट आदि शामिल हैं। उन्होंने पूछा कि बिहार के कितने प्रतिशत लोगों के पास ये दस्तावेज हैं? उन्होंने सरकार और आयोग से इसके आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग की।

फोटो और कागज की बाध्यता गरीबों के लिए बड़ी परेशानी
तेजस्वी यादव ने कहा कि हर मतदाता के पास White Background वाली रंगीन फोटो होनी चाहिए, साथ ही हर जरूरी कागज की हार्डकॉपी या फोटो कॉपी। उन्होंने सवाल किया कि गरीब, मजदूर, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के पास यह सब कहां से आएगा? क्या सरकार ने इसके लिए कोई योजना बनाई है?
बाढ़ और मानसून में संभव नहीं ये अभियान
तेजस्वी यादव ने कहा, “बिहार में मानसून आ चुका है, बाढ़ के हालात बन रहे हैं। ऐसे में लोग घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बीएलओ की घर-घर जांच और दस्तावेज़ जुटाना संभव ही नहीं है।”
तेजस्वी का सीधा आरोप- विपक्षी वोट काटने की साजिश
तेजस्वी यादव ने खुलकर आरोप लगाया, “यह पूरा अभियान विपक्ष के मजबूत बूथों से वोट काटने और सत्ताधारी दल के बूथों में वोट जोड़ने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि हमारे पास 2014 और 2024 की मतदाता सूची की कॉपी है, जिससे हम हर गड़बड़ी पर नजर रखेंगे।”
तेजस्वी यादव की पांच मुख्य मांगें:
1. चुनाव आयोग (Election Commission) सभी उलझन भरे आदेश तुरंत रद्द करे।
2. 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाने की प्रक्रिया रोकी जाए।
3. दस्तावेज़ दिखाने की अनिवार्यता खत्म की जाए या आसान विकल्प दिए जाएं।
4. सभी दलों की बैठक बुलाकर पुनरीक्षण प्रक्रिया तय की जाए।
5. इस पूरी प्रक्रिया पर न्यायिक या संसदीय जांच कराई जाए।
तेजस्वी यादव का दो टूक संदेश
तेजस्वी यादव ने कहा, “यह सिर्फ नाम जोड़ने या हटाने की बात नहीं है, यह बिहार के गरीब, दलित, पिछड़े और युवाओं के लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई है। अगर जरूरत पड़ी, तो हम इसके खिलाफ जेल जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने कहा, “बिहार लोकतंत्र की जननी है, हम लोकतंत्र को खत्म नहीं होने देंगे।”